1984 सिख दंगा मामला : सज्जन कुमार के खिलाफ फैसला टला, अगली सुनवाई 12 फरवरी को
Updated Friday, 07 Feb 2025 03:39 PM IST
1984 सिख दंगा मामला : सज्जन कुमार के खिलाफ फैसला टला, अगली सुनवाई 12 फरवरी को
नई दिल्ली,(ईएमएस)। साल 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े सरस्वती विहार मामले में दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट में फैसला टल गया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी।
इस मामले में कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार आरोपी हैं। मामला 1 नवंबर 1984 का है, जब पश्चिमी दिल्ली के राज नगर इलाके में पिता-पुत्र, सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह की हत्या कर दी गई थी। शिकायतकर्ताओं के अनुसार, शाम करीब चार से साढ़े चार बजे के बीच दंगाइयों की एक भीड़ ने लोहे की सरियों और लाठियों से उनके घर पर हमला किया था। आरोप है कि इस भीड़ का नेतृत्व उस समय बाहरी दिल्ली के सांसद रहे सज्जन कुमार ने किया था और उन्होंने भीड़ को हमले के लिए उकसाया था। इसके बाद, दोनों सिखों को उनके घर में जिंदा जला दिया गया था।
अनियंत्रित भीड़ द्वारा घर में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी भी की गई थी। इस घटना की एफआईआर उत्तरी दिल्ली के सरस्वती विहार थाने में दर्ज की गई थी। यह एफआईआर शिकायतकर्ताओं द्वारा रंगनाथ मिश्रा आयोग के समक्ष दिए गए हलफनामे के आधार पर दर्ज हुई थी।
कोर्ट में दलीलें और तर्क
अदालत ने 31 जनवरी को सरकारी वकील मनीष रावत की अतिरिक्त दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। अधिवक्ता अनिल शर्मा ने अदालत में दलील दी कि शुरू में इस मामले में सज्जन कुमार का नाम नहीं था, और यह मामला विदेशी भूमि के कानून के दायरे में नहीं आता। उन्होंने यह भी कहा कि गवाह ने सज्जन कुमार का नाम 16 साल बाद लिया, जो संदेहास्पद है।
इसके जवाब में अपर सरकारी वकील मनीष रावत ने तर्क दिया कि पीड़िता आरोपी को नहीं जानती थी, लेकिन जब उसे पता चला कि सज्जन कुमार कौन हैं, तब उसने अपने बयान में उनका नाम लिया। इससे पहले, वरिष्ठ अधिवक्ता एच.एस. फुल्का दंगा पीड़ितों की ओर से पेश हुए थे और उन्होंने आरोप लगाया कि सिख दंगों के मामलों में पुलिस जांच में हेराफेरी की गई थी। उन्होंने कहा कि जांच धीमी गति से की गई और आरोपियों को बचाने की कोशिश की गई।
अदालत अब इस मामले में 12 फरवरी को अपना फैसला सुनाएगी।
हिदायत/ईएमएस 07फरवरी25